कर्तव्यों संग नारी भर रही है उड़ान, ना कोई शिकायत ना कोई थकान।

हज़ारो फूल चाहिए एक माला
बनाने के लिए,
हज़ारो दीपक चाहिए एक आरती
सजाने के लिए,
हज़ारो बून्द चाहिए समुद्र
बनाने के लिए,
पर एक “स्त्री” अकेली ही काफी है..
घर को स्वर्ग बनाने के लिए…

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